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SSLV D2 ISRO , रॉकेट की सफल लॉन्चिंग 2023

Indian Space Research Organisation ने sslv d2 रॉकेट को लांच कर स्पेस जगत में एक कीर्तिमान रच दिया है इस रॉकेट की खास बात है कि यह कम लागत में 10 से 500 किलो वजन के मिनी माइक्रो या नैनो उपग्रहों को लांच ऑनडिमांड के आधार पर पृथ्वी की 500 क्विंटल तक की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है

SSLV का full Form

SSLV का Full form small Satellite Launch Vehicle है

SSLV D2 रॉकेट बनाने की यात्रा

इस रॉकेट को बनाने की यात्रा 2018 में शुरू हुई कोरोनावायरस जैसी महामारी के बीच चुनौतियों से लड़ते हुए और पहले प्रयास मैं असफलता हासिल करने के बाद आखिरकार ISRO ने 2023 में इस रॉकेट के सफलतापूर्वक उपलब्धि हासिल कर ली है

SSLV की खास बातें

SSLV रॉकेट मुख्य रूप से ठोस ईंधन द्वारा संचालित है भविष्य में उपग्रहों की बड़ी संख्या में लॉन्चिंग के बाजार को देखते हुए इसे तैयार किया गया है कम लागत में 10 से 500 किलो तक के वजन  के सैटेलाइट को ले जाने मैं सक्षम  है

SSLV का लागत,  वजन और साइज

इस रॉकेट का साइज लगभग 34 मीटर लंबा है वही वजन की बात करें तो लगभग 120 टन है इसे बनाने की लागत 56 करोड़ रुपए है

SSLV रॉकेट के फायदे

इस रॉकेट की लॉन्च होने से ISRO 2023 में कई मिशन शुरू करेगा और मानव मिशन गगनयान की तैयारी को भी तेज करेगा जैसा कि हम जानते हैं sslv d2 ने हाल ही में  ईओएस -07 समेत तीन उपग्रहों को सटीक रूप से निर्धारित कक्षा में स्थापित किया है

SSLV रॉकेट लॉन्च के बाद अंतरिक्ष जगत में भारत की स्थिति

एसएलवी रॉकेट कीलॉन्ग होने के बाद भारत में छोटी सेटेलाइट प्रक्षेपण बाजार में कदम रखा है इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि अब भारत अंतरिक्ष जगत में अन्य देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकता है

SSLV लॉन्चिंग Date  और Time

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने शुक्रवार कि सुबह 9:18 पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्मॉल सैटलाइट लॉन्च व्हीकल sslv2 की लॉन्चिंग की इस रॉकेट को खास छोटे सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है

SSLV से भारत का वित्तीय फायदा 

इस रॉकेट से भारत आने वाले समय में  अपने सैटेलाइट के साथ-साथ अन्य देशों के सेटेलाइट को भी अंतरिक्ष में स्थापित करेगा जिससे सरकार के राजस्व मैं और बढ़ोतरी होगी

SSLV ने किस-किस को लांच किया

SSLV D2 ने सुबह 9:18 पर पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS 07, अमेरिका का JANAS -01 , स्पेस किड्स इंडिया का आजादी सेट-02 के साथ उड़ान भरी  अपनी उड़ान के करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद उपग्रहों को निर्धारित 450 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित कर दिया

पिछली बार क्यों फेल हो गया था मिशन?

SSLV की पहली उड़ान SSLV D1 पिछले साल अगस्त में फेल हो गई थी इसरो ने जब इस फेलियर के कारणों का पता लगाने के बाद बताया कि दूसरे चरण के पृथक्करण के दौरान कंपन के कारण लॉन्चिंग प्रभावित हुई थी रॉकेट का सॉफ्टवेयर उपग्रहों को बाहर निकालने में सक्षम तो था लेकिन पृथक्करण गलत कक्षा में हो गया था उपग्रहों के 1 स्थिर कक्षा  में  होने के लिए जितनी रफ्तार की जरूरत थी उससे कम होने के चलते उपग्रह गलत दिशा में चले गए थे

FAQ

Ques – भारत में पहला रॉकेट कब लांच किया गया था?

भारत की जमीन से पहला रॉकेट 21 नवंबर 1963 को सफलतापूर्वक तिरुअनंतपुरम के पास THUMBA से छोड़ा गया था

Ques – भारत के रॉकेट मैन?

के सिवन

Ques – भारत का पहला स्वदेशी रॉकेट कौन था

भारत में बना पहला स्वदेशी रॉकेट लोणी 75 था जिसे 20 नवंबर 1967 को लांच किया गया था

Ques – दुनिया का पहला रॉकेट कौन था

नाइके अपाचे

Ques – दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट कौन सा है?

दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट अमेरिकी स्पेस एक्स द्वारा लांच किया गया फॉल्कन हेवी है जो 63 . 8 टन बजनी है इस रॉकेट को फ्लोरिडा के जॉन एफ कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया Read more

 

 

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